कोदों (कुटकी)
अन्तर सस्य क्रियायें
- अच्छी उपज के लिए अन्तरसस्य क्रियायें जैसे रिक्त स्थान भरना, खरपतवार नष्ट करना, जल निकास की व्यवस्था करना आदि करना चाहिए।
- खरपतवार का ज्यादा आक्रमण हो तो खरपतवार उखाड़कर नष्ट करें।
- अगर खेत में पानी भरा हो तो जल निकास का व्यवस्था करें।
उर्वरक प्रबंधन
- 3 साल में एक बार 5-10 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद का उपयोग करें। जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे।
- रसायनिक उर्वरकों 40 कि.ग्रा. नत्रजन तथा 20 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से करें।
- जिन क्षेत्रों में सामान्य वर्षा होती है उन में उर्वरक की पूरी मात्रा बुआई के समय दें।
- अधिक वर्षा के क्षेत्र में नत्रजन दो हिस्सों में दे पहली बुआई के समय और दूसरी बोनी के 20 से 25 दिन बाद दें।
सिंचाई प्रबंधन
- कोदो एक असिंचित फसल की तरह उगाई जाती है।
- यह खरीफ मौसम में उगाई जाती है और इसे सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती।
- यदि मिट्टी में पर्याप्त नमी न हो और सिंचाई उपलब्ध हो तो कल्ले बनते समय सिंचाई करें।